बात सच्ची है यही.... बात सच्ची है यही....
धारा बन जाना, बुलबुले का फूट कर, अनंत में तुम भी मिल जाओगे। धारा बन जाना, बुलबुले का फूट कर, अनंत में तुम भी मिल जाओगे।
फिर क्यों लोग इसे समझने को तैयार नहीं है। फिर क्यों लोग इसे समझने को तैयार नहीं है।
मानव वृद्धि बड़ी जालिम दुर्दिन लाने वाली, संभल जा। मानव वृद्धि बड़ी जालिम दुर्दिन लाने वाली, संभल जा।
वरना इस उम्र में हमने क्यों ऐसा सोचा होगा। हमने क्यों ऐसा सोचा... वरना इस उम्र में हमने क्यों ऐसा सोचा होगा। हमने क्यों ऐसा सोचा...
सागर लहरें अंबर डोले, मुश्किलें जब अपना मुंह खोले, तब जाकर प्रभु का द्वार खुले, जैसे सागर लहरें अंबर डोले, मुश्किलें जब अपना मुंह खोले, तब जाकर प्रभु का द्वार ...